तमोर पिंगला अभ्यारण से निकल आबादी वाले इलाकों में पहुंची नीलगाय, वन विभाग बेखबर
मोहम्मद जिसान खान प्रतापपुर - वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकारें लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन फिर भी वन्य जीव सुरक्षित नहीं है तमोर पिंगला अभ्यारण में भारी मात्रा में नीलगाय पाई जाती है वहीं वाड्राफनगर वन परिक्षेत्र के ग्राम महेवा में आज सुबह एक नीलगाय जंगल से निकलकर महेवा बाजार के पास पहुंच गया है जिससे अफरातफरी मच गई थी स्थानीय भाषा में नील गायों को वन भैंसा कहा जाता है, जो आमतौर पर खेती वाले क्षेत्र में या जंगलों में निवास करती है. फिलहाल जिस तरह से जंगलों की कटाई हो रहा है, खत्म होते जंगलों . वजह से नील गायों के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है. लिहाजा खाने और पानी की तलाश में यह नीलगाय बस्तियों का रुख कर रही हैं.
मूवमेंट से बेखबर वन विभाग
: तमोर पिंगला अभ्यारण क्षेत्र में नीलगाय गए पाए जाते हैं लेकिन भीड़ भाड़ वाले इलाके में नीलगाय की मौजूदगी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर विभाग को वन जीवों की मूवमेंट के बारे में आखिर खबर क्यों नहीं मिल पा रही है
भोजन की तलाश में बाहर निकल रही नीलगाय : वन्यजीव विशेषज्ञ बताते हैं कि अक्सर जंगलों से सटे इलाकों में नीलगाय भोजन की तलाश में बाहर आ जाती है. फिर उसी इलाके में अपनी टेरिटरी तलाशने की कोशिश करती है. इसका एक कारण वन्य क्षेत्र में अतिक्रमण भी है. लकड़ी या अन्य सामान की तलाश में जंगलों का रुख नहीं करना चाहिए. अगर कोई वन्यजीव आबादी वाले क्षेत्र में दाखिल हो जाता है, तो संबंधित विभाग की रेस्क्यू टीम को सूचना देनी चाहिए. फिलहाल लोगों की लापरवाही के कारण नीलगाय जैसे वन्यजीव आबादी वाले इलाकों का रुख करने लगे हैं. ये जानवर भोजन की तलाश में बाहर निकलते हैं और यहां प्लास्टिक जैसे प्रदूषित आहार ग्रहण कर रहे हैं.
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